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“उस माँ का रोना “
Posted by: Tanya Singh (तनु) on: October 13, 2011
ओ माँ !!! -२ का शब्द जब
प्रेम उदगार से भरता उसे ..
सर्वस्व छोड़ चली केवल तेरे लिए..
इच्छा थी ह्रदय में तेरे रहने की .. पर पाकर मतरीत्व तू भुलाता गया
साथ भ्रस्टाचारी रंग चढ़ाता गया |
क्या कभी कर्ज माँगा था उसने…????
जो छोड़ चला तू.., आखिर किसके लिए ???
आसूओं से रहित होंगी क्या,
उसकी नयन की नामित कोरें ???
दहकते दर्द की ज्वाला ह्रदय में
ले रही है हिलोरें..|
परिचय यही , इतिहास यही
विस्तरीत नभ का क्या कोई कोना ..???
रोक सकेगा “उस माँ का रोना “..|||